Monday, July 6, 2015

Sri Lalitha Sahasranamam Video........

|| श्रीललिता-सहस्त्रनाम-स्तोत्रम् || 
अस्य श्रीललिता-सहस्त्रनाम-स्तोत्र-माला महामन्त्रस्य |
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....and read-on .....
अंगन्यास 
वशिन्यादि वाग्देवता   ऋषयः | अनुष्टुप छन्द:|  श्रीललिता-महात्रिपुरसुन्दरी देवता
ऐं  बीजं | सौ: शक्ति:| क्लीं कीलकम्
श्रीललिता-महात्रिपुरसुन्दरी -प्रसाद-सिद्धयर्थे जपे विनियोग:||

करन्यास:
ऐं अंगुष्ठाभ्यां नमः ।  क्लीं तर्जनीभ्यां नमः । सौ:  मध्यमाभ्यां नमः । 
ऐं  अनामिकाभ्यां नमः । क्लीं कनिष्ठिकाभ्यां नमः । सौ: करतल-करपृष्ठाभ्यां नमः |
ऐं  हृदयाय नमः । क्लीं शिरसे स्वाहा । सौ: शिखायै वषट् । 
ऐं कवचाय हुं । क्लीं नेत्रत्रयाय वौषट् । सौ: अस्त्राय फट् |

भूर्भुवस्वरोमिति दिग्बंध्:|| ध्यानम् || 
सिन्दूरारुण-विग्रहाम् त्रिनयनां माणिक्य-मौलिस्फुरत्
तारानायक-शेखराम् स्मितमुखी-मापीन-वक्षोरुहाम् |
पाणिभ्यां-मलिपूर्ण-रत्नचषकं रक्तोत्पल बिभ्रतीं
सौम्यां-रत्नघटस्थ-रक्तचरणां ध्यायेत् परामम्बिकाम् ||

अरुणाम् करुणातरंगीताक्षीं धृत-पाशांकुश-पुष्पबाण-चापाम् ।
अणिमादिभि-रावृतां मयूखै-रहमित्येव विभावये भवानीम् ।।

ध्यायेत् पद्मासनस्थां विकसितवदनां पद्मपत्रायताक्षीं
हेमाभां पीतवस्त्रां करकलित-लसद्धेमपद्मां वरान्गीम् ।
सर्वालंकारयुक्तां सततमभयदां भक्तनम्राम् भवानीं
श्रीविद्यां शान्तमूर्तिं सकलसुरनुताम् सर्व सम्पत्प्रदात्रीं ||

 सकुंकुमविलेपना-मालिकचुम्बि-कस्तूरिकाम्
समंद-हसितेक्षणाम् सशरचापपाशांकुशाम् ।
अशेषजनमोहिनी-मरुणमाल्यभूषाम्बरां
जपाकुसुम-भासुरां जपविधौ स्मरेदंबिकाम्  ||


लं-इत्यादि पंच-पूजा ||
लं पृथिव्यात्मिकायै गन्धं समर्पयामि 
हं आकाशात्मिकायै पुष्पाणि पूजयामि
यं वाय्वात्मिकायै धूपमाघ्रापयामि 
रं अग्न्यात्मिकायै दीपं दर्शयामि 
वं अमृतात्मिकायै अमृतं महानैवेद्यम निवेदयामि 
सं सर्वात्मिकायै सर्वोपचार पूजां समर्पयामि 
.....
Differences wrt other scripts.....
क्लृप्त : कलुप्त    #8  #128
रदनच्छदा :  दशनच्छदा   #9
समाकर्ष-दिगन्तरा   :  समाकर्षि -दिगन्तरा  #10
भुवनावलि:  : भुवनावली   #66
पाखण्डा : पाषण्डा  #78
बन्धुरालका  : बर्बरालका  #111
काव्यालाप-विनोदिनी : काव्यालाप विमोदिनी   #123 
सौम्या  :  सोम्या   #168

अष्टमूर्तिः अजाजैत्री  :  अष्टमूर्तिरजाजैत्री   #131
करुणा-मूर्ति: अज्ञान  :  करुणा-मूर्ति-रज्ञान   #181
These two are perfectly okay in written format because it is a सन्धि where
two words are combined without causing any change in meaningbut here they cause change in meaning when pronounced thus.

Slokas.......

श्री मातुरवतार:
श्रीमाता श्रीमहाराज्ञी श्रीमत्सिंहासनेश्वरी
चिदग्नि-कुण्ड-सम्भूता देवकार्य-समुद्यता ॥ 1॥ 
उद्यद्भानु-सहस्त्राभा चतुर्बाहु-समन्विता
रागस्वरूप-पाशाढ्या क्रोधाकारांकुशोज्वला ॥ 2 ॥
मनोरूपेक्षु-कोदण्डा पंचतन्मात्र-सायका
निजारुण-प्रभापूर मज्जद्ब्रह्माण्ड-मण्डला ॥ 3 ॥
चम्पकाशोक-पुन्नाग-सौगन्धिक-लसत्कचा
कुरुविन्दमणि-श्रेणी-कनत्कोटीर-मण्डिता ॥ 4 ॥

अष्टमीचन्द्र-बिभ्राज-दलिकस्थल-शोभिता
मुखचन्द्र-कलंकाभ-मृगनाभि-विशेषका ॥ 5 ॥
वदनस्मर-मांगल्य-गृहतोरण-चिल्लिका
वक्त्रलक्ष्मी-परिवाह-चलन्मीनाभ-लोचना ॥ 6 ॥
नवचम्पक -पुष्पाभ-नासादण्ड-विराजिता
ताराकान्ति-तिरस्कारि-नासभरण-भासुरा ॥ 7 ॥
कदम्बमञ्जरी-क्लृप्त-कर्णपूर -मनोहरा
ताटङ्क-युगली-भूत-तपनोडुप-मण्डला    ॥ 8 ॥

पद्मरागशिलादर्श-परिभावि-कपोलभूः
नवविद्रुम-बिम्बश्री-न्यक्कारिरदनच्छदा ॥ 9 ॥
शुद्ध-विद्यांकुराकार-द्विजपंक्ति-द्वयोज्ज्वला
कर्पूरवीटिकामोद-समाकर्ष-दिगन्तरा ॥ 10 ॥
निज-संलाप-माधुर्य -विनिर्भर्त्सित-कच्छपी
मन्दस्मित-प्रभापूर-मज्जत्कामेश-मानसा ॥ 11 ॥
अनाकलित-सादृश्य-चिबुकश्री-विराजिता
कामेश-बद्ध-मांगल्य-सूत्र-शोभित-कन्धरा ॥ 12 ॥

कनकांगद-केयूर-कमनीय-भुजान्विता
रत्नग्रैवेय-चिन्ताक-लोल-मुक्ता-फलान्विता ॥ 13 ॥
कामेश्वर-प्रेमरत्न-मणि-प्रतिपण-स्तनी
नाभ्यालवाल-रोमालि-लताफल-कुचद्वयी ॥ 14 ॥
लक्ष्यरोम-लताधारता-समुन्नेय-मध्यमा
स्तनभार-दलन्मध्य-पट्टबंध-वलित्रया ॥ 15 ॥
अरुणारुणकौसुम्भ-वस्त्र-भास्वत्-कटीतटी
रत्न-किंकिणिका-रम्य-रशना-दाम-भूषिता ॥ 16 ॥

कामेश-ज्ञात-सौभाग्य -मार्दवोरू-द्वयान्विता
माणिक्य-मुकुटाकार-जानुद्वय-विराजिता ॥ 17 ॥
इंद्रगोप-परिक्षिप्त-स्मरतूणाभ-जंघिका
गूढगुल्फा-कूर्मपृष्ट-जयिष्णु-प्रपदान्विता ॥ 18 ॥
नख-दीधिति-संछन्न-नमज्जन-तमोगुणा
पदद्वय-प्रभाजाल-पराकृत-सरोरूहा   ॥ 19 ॥
सिंजान-मणिमंजीर-मंडित-श्री-पदाम्बुजा
मराली-मन्दगमना महालावण्य-शेवधिः ॥ 20 ॥

सर्वारुणाSनवद्यांगी-सर्वाभरण-भूषिता
शिव-कामेश्वरांकस्था शिवा-स्वाधीन-वल्लभा ॥ 21 ॥ 

श्री नगरवर्णाना
सुमेरु-मध्य-श्रृंगस्था श्रीमन्नगर-नायिका
चिंतामणि-गृहान्तस्था-पंच-ब्रह्मासन-स्तिथा ॥ 22 ॥
महापद्माटवी-संस्था-कदम्बवन-वासिनी
सुधासागर-मध्यस्था कामाक्षी कामदायिनी ॥ 23 ॥ 

भण्डासुर-वधः
देवर्षि-गण-संघात-स्थूयमानात्म-वैभवा
भण्डासुर-वधोद्युक्त-शक्तिसेना-समन्विता ॥ 24 ॥
सम्पत्करी-समारूढ-सिन्धुर-व्रज-सेविता
अश्वारूढाधिष्टिताश्व-कोटि-कोटिभि-रावृता ॥ 25 ॥ 
चक्रराज-रथारूढ़-सर्वायुध-परिष्कृता
गेयचक्र-रथारूढ़-मन्त्रिणी-परिसेविता ॥ 26 ॥ 
किरिचक्र-रथारूढ़-दण्डनाथा-पुरस्कृता
ज्वालामालिनीकाक्षिप्त-वन्हिप्राकार-मध्यगा ॥ 27 ॥ 
भण्डसैन्य-वधोद्युक्त-शक्ति-विक्रम-हर्षिता
नित्या-पराक्रमाटोप -निरीक्षण-समुत्सुका ॥ 28 ॥ 

भण्डपुत्र-वधोद्युक्त-बाला-विक्रम-नन्दिता
मन्त्रिण्यम्बा-विरचित -विषंग-वध-तोषिता ॥ 29 ॥
विशुक्र-प्राणहरण-वाराही-वीर्य-नंदिता
कामेश्वर-मुखालोक-कल्पित-श्रीगणेश्वरा ॥ 30 ॥ 
महागणेश निर्भिन्न विघ्नयन्त्र प्रहर्षिता
भण्डासुरेंद्र निर्मुक्त शस्त्र प्रत्यस्त्र वर्षिणी ॥ 31 ॥ 
करांगुलि नखोत्पन्न नारायण दशाकृति:
महा-पाशुपतास्त्राग्नि निर्दग्धासुर सैनिका ॥ 32 ॥ 

कामेश्वरास्त्र निर्दग्ध सभण्डासुर शून्यका
ब्रह्मोपेन्द्र महेन्द्रादि देव संस्तुत वैभवा ॥ 33 ॥ 

Slokas # 34 onwards.........

मन्त्र-रूपः
हर नेत्राग्नि संदग्ध काम संजीवनौषधि:
श्रीमद्वाग्भव कूटैक स्वरुप मुख पंकजा ॥ 34 ॥ 
कण्ठाधः कटि पर्यन्त मध्यकूट स्वरूपिणी
शक्तिकूटैकतापन्न कट्यधोभाग धारिणीं ॥ 35 ॥ 

कुण्डलिनी-रूपः
मूलमन्त्रात्मिका मूलकूटत्रय कलेबरा
कुलामृतैक-रसिका कुलसंकेत-पालिनी ॥ 36 ॥ 

कुलांगना कुलान्तस्था कौलिनी कुलयोगिनी
अकुला समयान्तस्था समयाचार तत्परा ॥ 37 ॥ 
मूलाधारैक निलया ब्रह्मग्रंथि विभेदिनी
मणिपूरान्तरुदिता विष्णुग्रंथि विभेदिनी ॥ 38 ॥ 
आज्ञाचक्रान्तरालस्था रूद्रग्रंथि विभेदिनी
सहस्त्राराम्बुजारूढा सुधा साराभिवर्षिणी ॥ 39 ॥ 
तडिल्लता समरुचिः षट्चक्रोपरि संस्थिता
महासक्तिः कुण्डलिनी बिसतन्तु तनीयसी ॥ 40 ॥ 

भक्तानुग्रह:
भवानी भावनागम्या भवारण्य कुठारिका
भद्रप्रिया भद्रमूर्ति-र्भक्त-सौभाग्यदायिनी ॥ 41 ॥ 
भक्तिप्रिया भक्तिगम्या  भक्तिवश्या भयापहा
शांभवी शारदाराध्या शर्वाणी शर्मदायिनी ॥ 42 ॥ 

निर्गुणोपासना
शांकरी श्रीकरी साध्वी शरच्चन्द्र-निभानना
शातोदरी शान्तिमती निराधारा निरंजना ॥ 43 ॥ 
निर्लेपा निर्मला नित्या निराकारा नीराकुला
निर्गुणा निष्कला शान्ता निष्कामा निरूपप्लवा ॥ 44 ॥ 

नित्यमुक्ता निर्विकारा निष्प्रपंचा निराश्रया
नित्यशुद्धा नित्यबुद्धा निरवद्या निरन्तरा ॥ 45 ॥ 
निष्कारणा निष्कलंका निरुपाधिर्निरीश्वरा
नीरागा रागमथनी निर्मदा मदनाशिनी ॥ 46 ॥ 
निश्चिंता निरहंकारा निर्मोहा मोहनाशिनी
निर्ममा ममताहन्त्री निष्पापा पापनाशिनी ॥ 47 ॥ 
निष्क्रोधा क्रोधशमनी निर्लोभा लोभनाशिनी
निः संशया संशयघ्नी निर्भवा भवनाशिनी ॥ 48 ॥ 

निर्विकल्पा निराबाधा निर्भेदा भेदनाशिनी
निर्नाशा मृत्युमथनी निष्क्रिया निष्परिग्रहा ॥ 49 ॥ 
निस्तुला नीलचिकुरा निरपाया निरत्यया
दुर्लभा दुर्गमा दुर्गा दुःखहन्त्री सुखप्रदा ॥ 50 ॥ 

Slokas # 51 onwards......

सगुणोपासना
दुष्टदूरा दुराचारशमनी दोष-वर्जिता
सर्वज्ञा सांद्रकरुणा समानाधिक-वर्जिता ॥ 51 ॥ 
सर्वशक्तिमयी सर्वमंगला सद्गतिप्रदा
सर्वेश्वरी सर्वमयी सर्वमंत्र स्वरूपिणी ॥ 52 ॥ 
सर्व-यन्त्रात्मिका सर्व-तन्त्ररूपा मनोन्मनी
माहेश्वरी महादेवी महालक्ष्मी-र्मृडप्रिया ।। 53 ।।
महारूपा महापूज्या महा-पातक-नाशिनी
महामाया महासत्वा महाशक्ति-र्महारतिः ।। 54 ।।
महाभोगा महैश्वर्या महावीर्या महाबला
महाबुद्धि-र्महासिद्धि-र्महायोगेश्वरेश्वरी ।। 55 ।।
महातन्त्रा -महामन्त्रा-महायन्त्रा महासना
महायाग-क्रमाराध्या महाभैरव-पूजिता ।। 56 ।।

महेश्वर-महाकल्प-महाताण्डव-साक्षिणी
महाकामेश-महिषी महात्रिपुरसुन्दरी ।। 57 ।।
चतुष्षष्टयुपचाराढ्या चतुष्षश्टिकलामयी। 
महाचतु:-षष्टिकोटि-योगिनी-गणसेविता ।। 58 ।।
मनुविद्या चन्द्रविद्या चन्द्रमण्डल मध्यगा
चारुरूपा चारुहासा चारुचन्द्र कलाधरा ।। 59 ।।
चराचर जगन्नाथा चक्रराज निकेतना
पार्वती पद्मनयना पद्मराग समप्रभा ।। 60 ।।

पञ्चब्रह्मस्वरूपः
पंचप्रेतासनासीना पंचब्रह्मस्वरूपिणी
चिन्मयी परमानन्दा विज्ञानघनरूपिणी ।। 61 ।।
ध्यान-ध्यातृ-ध्येयरूपा धर्माधर्म-विवर्जिता
विश्वरूपा जागरिणी स्वपन्ती तैजसात्मिका ।। 62 ।।
सुप्ता प्राज्ञात्मिका तुर्या सर्वावस्था-विवर्जिता
सृष्टिकर्त्री ब्रह्मरूपा गोप्त्री गोविन्दरूपिणी ।। 63 ।।
संहारिणी रुद्ररूपा तिरोधानकरीश्वरी
सदाशिवाSनुगृहदा पंचकृत्यपरायणा ।। 64 ।।

भानुमण्डल-मध्यस्था भैरवी भगमालिनी
पद्मासना भगवती पद्मनाभ सहोदरी ।। 65 ।।
उन्मेष निमिषोत्पन्न विपन्न भुवनावलिः
सहस्त्रशीर्षवदना सहस्त्राक्षी सहस्त्रपात् ।। 66 ।।
आब्रह्म-कीट-जननी वर्णाश्रम-विधायिनी
निजाज्ञारूप-निगमा पुण्यापुण्य-फलप्रदा ।। 67 ।।
श्रुति-सीमन्त-सिन्दूरी-कृत-पादाब्जधूलिका
सकलागम-संदोह-शुक्ति-संपुट-मौक्तिका ।। 68 ।।

पुरूषार्थ-प्रदा पूर्णा भोगिनी भुवनेश्वरी
अम्बिकाSनादि-निधना हरिब्रह्मेन्द्र-सेविता ।। 69 ।।
नारायणी नादरूपा नामरूप-विवर्जिता
ह्रींकारी ह्रीमती हृद्या हेयोपादेय-वर्जिता ।। 70 ।।
राजराजार्चिता राज्ञी रम्या राजीव-लोचना
रंजनी रमणी रस्या रणत्किङ्किणि-मेखला ।। 71 ।।
रमा राकेन्दु-वदना रतिरूपा रतिप्रिया
रक्षाकरी राक्षसघ्नी रामा रमणलम्पटा ।। 72 ।।

काम्या कामकलारूपा कदम्ब-कुसुम-प्रिया
कल्याणी जगती-कंदा करुणा-रस-सागरा ॥ 73 ।।
कलावती कलालापा कान्ता कादम्बरी-प्रिया
वरदा वामनयना वारुणी-मद-विह्वला ॥ 74 ।।
विश्वाधिका वेदवेद्या विंध्याचल-निवासिनी
विधात्री वेदजननी विष्णुमाया विलासिनी ॥ 75 ।।

Slokas # 76 onwards......

क्षेत्रक्षेत्रज्ञरूपः
क्षेत्रस्वरूपा क्षेत्रेशी क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ-पलिनी
क्षयवृद्धि-विनिर्मुक्ता क्षेत्रपाल-समर्चिता ॥ 76 ।।

विजया विमला वन्द्या वन्दारु-जन-वत्सला
वाग्वादिनी वामकेशी वंहिमंडल-वासिनी ॥ 77 ।।
भक्तिमत्-कल्पलतिका पशुपाश विमोचिनी
संहृताशेष-पाखण्डा सदाचार-प्रवर्तिका ॥ 78 ।।
तापत्रयाग्नि-संतप्त-समाह्लादन-चन्द्रिका
तरुणी तापसाराध्या तनुमध्या तमोपहा ॥ 79 ।।
चिति-स्तत्पद-लक्ष्यार्था चिदेकरस-रूपिणी
स्वात्मानन्द-लवीभूत-ब्रह्माद्यानन्दसन्ततिः ॥ 80 ।।

परा प्रत्यक्-चितीरूपा पश्यन्ति परदेवता
मध्यमा वैखरी-रूपा भक्त-मानस-हंसिका ॥ 81 ।।

पीठानि-अंगदेवताश्च
कामेश्वर-प्राणनाड़ी कृतज्ञा-कामपूजिता
श्रृंगार-रस-सम्पूर्णा जया-जालंधर-स्थिता ॥ 82 ।।
ओड्याण-पीठ-निलया बिन्दु-मण्डलवासिनी
रहोयाग-क्रमाराध्या रहस्तर्पण-तर्पिता ॥ 83 ।।
सद्य-प्रसादिनी विश्वसाक्षिणी साक्षिवर्जिता
षडंगदेवता-युक्ता षांगुण्य-परिपूरिता ॥ 84 ।।

नित्य-क्लिन्ना नित्यरूपा निर्वाण-सुख-दायिनी
नित्या-षोडशिकारूपा श्रीकण्ठार्ध-शरीरिणी ॥ 85 ।।
प्रभावती प्रभारूपा प्रसिद्धा परमेश्वरी
मूलप्रकृति-रव्यक्ता व्यक्ताव्यक्त-स्वरूपिणी ॥ 86 ।।
व्यापिनी विविधाकारा विद्याविद्या-स्वरूपिणी
महाकामेश-नयन कुमुदाह्लाद-कौमुदी ॥ 87 ।।
भक्त-हार्द-तमो-भेद-भानुमद्भानु-सन्ततिः
शिवदूती शिवाराध्या शिवमूर्तिः शिवंकरी ॥ 88 ।।

शिवप्रिया शिवपरा शिष्टेष्टा शिष्टपूजिता
अप्रमेया स्वप्रकाशा मनो-वाचामगोचरा ॥ 89 ।।
चिच्छक्ति-श्चेतना-रूपा जडशक्ति-र्जडात्मिका
गायत्री व्याहृति: संध्या द्विजबृंद-निषेविता ॥ 90 ।।
तत्वासना तत्वमयी पंचकोशान्तर-स्थिता
नि: सीम महिमा नित्य-यौवना मदशालिनी ॥ 91 ।।
मदघूर्णित-रक्ताक्षी मदपाटल-गण्डभूः
चन्दन-द्रव-दिग्धांगी  चाम्पेय-कुसुम-प्रिया ॥ 92 ।।

कुशला-कोमलाकारा कुरुकुल्ला कुलेश्वरी
कुलकुण्डालया कौलमार्ग-तत्पर-सविता || 93 ||
कुमार-गणनाथाम्बा तुष्टिः पुष्टि-र्मति-र्धृति 
शांतिः स्वस्तिमती कांति-र्नन्दिनी विघ्ननाशिनी || 94 ||
तेजोवती त्रिनयना लोलाक्षी-कामरूपिणी
मालिनी हंसिनी माता मलयाचल-वासिनी || 95 ||
सुमुखी नलिनी सुभ्रूः शोभना सुरनायिका
कालकण्ठी कान्तिमती क्षोभिणी सूक्ष्मरूपिणी || 96 ||

वज्रेश्वरी वामदेवी वयोवस्था-विवर्जिता
सिद्धेश्वरी सिद्धविद्या सिद्धमाता यशस्विनी || 97 ||

Slokas # 98 onwards......

योगिनी-न्यासः
विशुद्धिचक्र-निलया-SSरक्तवर्णा त्रिलोचना
खट्वांगादि-प्रहरणा वदनैकसमन्विता || 98 ||
पायसान्न-प्रिया त्वक्स्था पशुलोक-भयंकरी
अमृतादि-महाशक्ति-संवृता डाकिनीश्वरी || 99 ||
 अनाहताब्ज-निलया श्यामाभा वदनद्वया
दंष्ट्रोज्ज्वलाक्षमालादि-धरा रुधिर-संस्थिता || 100 ||

कालरात्र्यादि-शक्त्यौघ-वृता स्त्रिग्धौदन-प्रिया
महावीरेन्द्र-वरदा राकिण्याम्बा-स्वरूपिणी || 101 ||
मणिपूराब्ज-निलया वदनत्रय-संयुता
वज्राधिकायुधोपेता डामर्यादिभि-रावृता || 102 ||
रक्तवर्णा मांसनिष्ठा गुडान्न-प्रीत-मानसा
समस्तभक्त-सुखदा लाकिण्यम्बा-स्वरूपिणी || 103 ||
स्वाधिष्ठानाम्बुजगता चतुर्वक्त्र-मनोहरा
शूलाद्यायुध-सम्पन्ना पीतवर्णातिगर्विता || 104 ||

मेदोनिष्ठा मधुप्रीता बंधिनयादि-समन्विता
दध्यन्नासक्त-हृदया काकिनी-रूप-धारिणी || 105 ||
मूलाधाराम्बुझारूढा पंचवक्रास्थि-संस्थिता   
अंकुशादि-प्रहरणा वरदादि-निषेविता || 106 ||
मुद्गौदनासक्त-चित्ता साकिन्यम्बा-स्वरूपिणी
आज्ञा-चक्राब्ज-निलया शुक्लवर्णा षडानना || 107 ||
मज्जा-संस्था हंसावती-मुख्य-शक्ति-समन्विता
हरिद्रान्नैक-रसिका हाकिनी-रूप-धारिणी || 108 ||

सहस्रदल-पद्मस्था सर्व-वर्णोप-शोभिता
सर्वायुध-धरा शुक्ल-संस्थिता सर्वतोमुखी || 109 ||

विभूतिविस्तार: - मार्गभेदसामरस्यश्च

सर्वौदन-प्रीतचित्ता याकिन्यम्बा-स्वरूपिणी
स्वाहा स्वधाSमति-र्मेधा श्रुति-स्मृति-रनुत्तमा || 110 ||
पुण्यकीर्ति: पुन्यलभ्या पुण्यश्रवण-कीर्तना
पुलोमजार्चिता बन्धमोचनी बन्धुरालका || 111 ||
विमर्शरूपिणी विद्या वियदादि-जगत्प्रसूः
सर्वव्याधि-प्रशमनी सर्वमृत्यु निवारिणी || 112 ||

अग्रगण्या-Sचिंत्यरूपा कलिकल्मष-नाशिनी
कात्यायनी कालहन्त्री कमलाक्ष-निसेविता || 113 ||
ताम्बूल-पूरित-मुखी दाड़िमी-कुसुम-प्रभा
मृगाक्षी मोहिनी मुख्या मृडाणी मित्ररूपिणी || 114 ||
नित्य-तृप्ता भक्तानिधि-र्नियन्त्री निखिलेश्वरी
मैत्र्यादि-वासनालभ्या महा-प्रलय-साक्षिणी || 115 ||
पराशक्तिः परानिष्ठां प्रज्ञानघन-रूपिणी
माध्वीपानालसा-मत्ता मातृका-वर्ण-रूपिणी || 116 ||

महाकैलास-निलया मृणाल-मृदु-दोर्लता
महनीया दयामूर्ति-र्महासाम्राज्य-शालिनी || 117 ||
आत्मविद्या महाविद्या श्रीविद्या कामसेविता
श्रीषोडशाक्षरीविद्या त्रिकूटा कामकोटिका || 118 ||
कटाक्ष-किंकरी-भूत-कमला-कोटि-सेविता
शिरस्थिता चन्द्रनिभा भालस्थेन्द्र-धनुः-प्रभा || 119 ||
हृदयस्था रविप्रख्या त्रिकोणान्तर-दीपिका
दाक्षायणी दैत्यहंत्री दक्षयज्ञविनाशिनी || 120 ||

दरान्दोलित-दीर्घाक्षी दरहासोज्ज्वलमुखी
गुरु-मूर्ति-र्गुणनिधि-र्गोमाता गुहजन्म-भूः ॥ 121 ॥
देवेशी दण्डनीतिस्था दहराकाश-रूपिणी
प्रतिपन्मुख्य-राकान्त-तिथि-मण्डल-पूजिता ॥ 122 ॥
कलात्मिका कलानाथा काव्यालाप विनोदिनी
सचामर-रमा-वाणी-सव्य-दक्षिण-सेविता ॥ 123 ॥
आदिशक्ति -रमेयाSSत्मा परमा पावनाकृतिः
अनेक-कोटि-ब्रह्माण्ड-जननी दिव्य-विग्रहा ॥ 124 ॥

क्लींकारी केवला गुह्या कैवल्य-पद-दायिनी
त्रिगुणा त्रिजगद्वन्द्या त्रिमूर्ति-स्त्रिदशेश्वरी ॥ 125 ॥
त्र्यक्षरी दिव्य-गंधाढ्या सिन्दूर-तिलकांचिता
उमा शैलेन्द्रतनया गौरी गन्धर्व-सेविता ॥ 126 ॥
विश्वगर्भा स्वर्णगर्भा-Sवरदा वागधीश्वरी
ध्यानगम्या-Sपरिच्छेद्या ज्ञानदा ज्ञानविग्रहा ॥ 127 ॥
सर्व-वेदांत-संवेद्या सत्यानन्द-स्वरूपिणी
लोपामुद्रार्चिता-लीलाक्लृप्त-ब्रह्माण्ड-मण्डला ॥ 128 ॥

अदृश्या दृश्यरहिता विज्ञात्री वेद्य-वर्जिता
योगिनी योगदा योग्या योगानन्दा युगंधरा ॥ 129 ॥
इच्छाशक्ति-ज्ञानशक्ति-क्रियाशक्ति-स्वरूपिणी
सर्वाधारा सुप्रतिष्ठा सदसद्रूप-धारिणी ॥ 130 ॥
अष्टमूर्ति: अजाजैत्री लोकयात्रा-विधायिनी
एकांकिनी भूमरूपा निर्द्वैता द्वैतवर्जिता  ॥ 131 ॥
अन्नदा-वसुधा वृद्धा ब्रह्मात्मैक्य-स्वरूपिणी
बृहती ब्राह्मणी ब्राह्मी ब्रह्मानन्दा बलिप्रिया ॥ 132 ॥

भाषारूपा बृहत्सेना भावाभाव-विवर्जिता
सुखाराध्या शुभकरी शोभनासुलभागति:॥ 133 ॥
राजराजेश्वरी राज्यदायिनी राज्यवल्लभा
राजत्कृपा राजपीठ-निवेषित-निजाश्रिता ॥ 134 ॥
राज्यलक्ष्मीः कोशनाथा चतुरंग-बलेश्वरी
साम्राज्यदायिनी सत्यसंधा सागरमेखला ॥ 135 ॥
दीक्षिता दैत्यशमनी सर्वलोकवशंकरी
सर्वार्थदात्री सावित्री सच्चिदानन्द-रूपिणी ॥ 136 ॥

देशकालापरिच्छिन्ना सर्वगा सर्वमोहिनी
सरस्वती शास्त्रमयी गुहाम्बा गुह्यरूपिणी ॥ 137 ॥
सर्वोपाधि-विनिर्मुक्ता सदाशिव-पतिव्रता
सम्प्रदायेश्वरी-साध्वी गुरुमण्डल-रूपिणी ॥ 138 ॥
कुलोत्तीर्णा भगाराध्या माया मधुमती मही
गणाम्बा गुह्यकाराध्या कोमलांगी गुरुप्रिया ॥ 139 ॥
स्वतन्त्रा सर्वतन्त्रेशी दक्षिणामूर्ति-रूपिणी
सनकादि-समाराध्या शिवज्ञान-प्रदायिनी ॥ 140 ॥

चित्कलाSSनन्द-कलिका प्रेमरूपा-प्रियंकरी
नामपारायण-प्रीता नन्दिविद्या नटेश्वरी ॥ 141 ॥
मिथ्या-जगदधिष्ठाना मुक्तिदा मुक्तिरूपिणी
लास्यप्रिया-लयकरी लज्जा रम्भादिवन्दिता ॥ 142 ॥
भवदाव-सुधावृष्टिः पापारण्य-दवानला
दौर्भाग्य-तूलवातूला जराध्वान्तरविप्रभा ॥ 143 ॥
भाग्याब्धि-चन्द्रिका भक्त-चित्त-केकि-घनाघना
रोगपर्वत -दम्भोलि-र्मृत्युदारू-कुठारिका ॥ 144 ॥

Slokas # 145 onwards......

महेश्वरी महाकाली महाग्रासा महाशना
अपर्णा चण्डिका चण्डमुण्डासुर-निषूदिनी ॥ 145 ॥
क्षराक्षरात्मिका सर्वलोकेशी विश्वधारिणी
त्रिवर्गदात्री सुभगा त्रयम्बका त्रिगुणात्मिका ॥ 146 ॥
स्वर्गापवर्गदा शुद्धा जपापुष्प-निभाकृतिः
ओजोवती द्युतिधरा यज्ञरूपा प्रियव्रता ॥ 147 ॥
दुराराध्या दुराधर्षा पाटली-कुसुम-प्रिया
महती-मेरुनिलया मन्दार-कुसुम-प्रिया ॥ 148 ॥

वीराराध्या विराड्रूपा विरजा विश्वतोमुखी 
प्रत्यग्-रूपा पराकाशा प्राणदा प्राणरूपिणी ॥ 149 ॥
मार्तण्ड-भैरवाराध्या मन्त्रिणी-न्यस्तराज्यधूः
त्रिपुरेशी जयत्सेना निस्त्रैगुण्या परापरा ॥ 150 ॥
सत्यज्ञानानन्द-रूपा सामरस्य-परायणा
कपर्दिनी-कलामाला कामधु-क्काम-रूपिणी ॥ 151 ॥
कलानिधिः काव्यकला रसज्ञा रसशेवधिः
पुष्टा पुरातना पूज्या पुष्करा पुष्करेक्षणा ॥ 152 ॥

परंज्योतिः परंधाम परमाणुः परात्परा
पाशहस्ता पाशहन्त्री परमन्त्र-विभेदिनी ॥ 153 ॥
मूर्ताSमूर्ताSनित्यतृप्ता मुनिमानस-हंसिका
सत्यव्रता सत्यरूपा सर्वान्तर्यामिणि सती ॥ 154 ॥
ब्रह्माणी ब्रह्मजननी बहुरूपा बुधार्चिता
प्रसवित्री प्रचण्डाSSज्ञा प्रतिष्ठा प्रकटाकृतिः ॥ 155 ॥
प्राणेश्वरी प्राणदात्री पंचाशत्पीठ-रूपिणी
विश्रृंखला विविक्तस्था वीरमाता वियत्प्रसूः ॥ 156 ॥

मुकुन्दा मुक्तिनिलया मूलविग्रह-रूपिणी
भावज्ञा भवरोगघ्नी भवचक्र-प्रवर्तिनी ॥ 157 ॥
छन्दः सारा शास्त्रसारा मंत्रसारा तलोदरी
उदारकीर्ति-रुद्दामवैभवा वर्णरूपिणी ॥ 158 ॥
जन्ममृत्यु-जरातप्त-जन-विश्रान्तिदायिनी
सर्वोपनिष- दुद्धुष्ठा शान्त्यतीत-कलात्मिका ॥ 159 ॥
गंभीरा गगनान्तस्था गर्विता गानलोलुपा
कल्पना-रहिता काष्ठाSकान्ता कान्तार्ध-विग्रहा ॥ 160 ॥

कार्यकारण-निर्मुक्ता कामकेली-तरंगिता
कनत्कनक-ताटंका लीला-विग्रह-धारिणी ॥ 161 ॥
अजा क्षयविनिर्मुक्ता मुग्धा-क्षिप्र-प्रसादिनी
अन्तर्मुख-समाराध्या बहिर्मुख-सुदुर्लभा ॥ 162 ॥
त्रयी त्रिवर्ग-निलया त्रिस्था त्रिपुरमालिनी
निरामया निरालम्बा स्वात्मारामा सुधासृतिः ॥ 163 ॥
संसारपंकनिर्मग्न-समुद्धरण-पण्डिता
यज्ञप्रिया यज्ञकर्त्री यजमान स्वरूपिणी ॥ 164 ॥

धर्माधारा धनाध्यक्षा धनधान्य-विवर्धिनी
विप्रप्रिया विप्ररूपा विश्वभ्रमण-कारिणी ॥ 165 ॥
विश्वग्रासा विद्रुमाभा वैष्णवी विष्णुरूपिणी
अयोनि-र्योनि-निलया कूटस्था-कुलरूपिणी ॥ 166 ॥
वीरगोष्ठी-प्रिया वीरा नैष्कर्म्या नादरूपिणी
विज्ञानकलना कल्या विदग्धा बैंदवासना ॥ 167 ॥
तत्वाधिका तत्वमयी तत्वमर्थ-स्वरूपिणी
सामगान-प्रिया सौम्या सदाशिव-कुटुम्बिनी ॥ 168 ॥

सव्यापसव्य-मार्गस्था सर्वापद्विनिवारिणी
स्वस्था स्वभावमधुरा धीरा धीरसमर्चिता ॥ 169 ॥
चैतन्यार्घ्य-समांराध्या चैतन्य-कुसुम-प्रिया
सदोदिता सदातुष्टा तरुणादित्य-पाटला ॥ 170 ॥
दक्षिणा-दक्षिणाराध्या दरस्मेर-मुखाम्बुजा
कौलिनी-केवलाSनर्घ्य-कैवल्य-पद-दायिनी ॥ 171 ॥
स्तोत्र-प्रिया स्तुतिमती श्रुति-संस्तुत-वैभवा
मनस्विनी मानवती महेशी मंगलाकृतिः ॥ 172 ॥

विश्वमाता जगद्धात्री विशालाक्षी विरागिणी
प्रगल्भा परमोदारा परामोदा मनोमयी ॥ 173 ॥
व्योमकेशी विमानस्था वज्रिणी वामकेश्वरी
पंचयज्ञ-प्रिया पंचप्रेत-मंचाधिशायिनी ॥ 174 ॥
पंचमी पंचभूतेशी पंचसंख्योपचारिणी
शास्वती शाश्वतैश्वर्या शर्मदा शम्भुमोहिनी ॥ 175 ॥
धरा धरसुता धन्या धर्मिणी धर्मवर्धिनी
लोकातीता गुणातीता सर्वातीता शमात्मिका ॥ 176 ॥

बन्धूक-कुसुम-प्रख्या बाला लीला-विनोदिनी
सुमंगली सुखकरी सुवेषाढ्या सुवासिनी ॥ 177 ॥
सुवासिन्यर्चन-प्रीताSSशोभना शुद्ध-मानसा
बिन्दु-तर्पण-सन्तुष्ठा पूर्वजा त्रिपुराम्बिका ॥ 178 ॥
दशमुद्रा-समांराध्या त्रिपुराश्रीवशंकरी
ज्ञानमुद्रा ज्ञानगम्या ज्ञान-ज्ञेय-स्वरूपिणी ॥ 179 ॥
योनिमुद्रा त्रिखण्डेशी त्रिगुणाम्बा त्रिकोणगा
अनघाSद्भुत-चारित्रा वांछितार्थ-प्रदायिनी ॥ 180 ॥

शिवशक्त्यैक्यरूपः 
अभ्यासातिशय-ज्ञाता षडध्वातीत-रूपिणी
अव्याज-करुणा-मूर्ति:-अज्ञान-ध्वान्त-दीपिका ॥ 181 ॥
आबाल-गोप-विदिता सर्वानुल्लंघ्य-शासना

श्रीचक्रराज -निलया श्रीमत् -त्रिपुरसुन्दरी ॥ 182 ॥
श्रीशिवा शिव-शक्त्यैक्य -रूपिणी ललिताम्बिका ॥ ॐ ॥


इति श्री ब्रह्माण्डपुराणे उत्तरखण्डे 
श्री हयग्रीवागस्त्य-संवादे
श्री ललिता सहस्त्रनाम-स्तोत्र-कथनम् सम्पूर्णम्